आखिर क्यों हर युग में गजानन बदलते हैं अपना वाहन?
आखिर क्यों हर युग में गजानन बदलते हैं अपना वाहन? Updated: Wed, 20 Jan 2016 05:22 PM (IST) चूहे में इसके अलावा और भी कई गुण होते हैं, यही कारण है कि गणेशजी ने चूहे को ही अपना वाहन चुना था। देवों में सर्वप्रथम पूज्य गणेश जी का वाहन चूहा है। चूहा जिसे संस्कृत में मूषक कहते हैं, जो कि शारीरिक आकार में छोटा होता है। गणेश जी बुद्धि के देवता है तो चूहा को तर्क-वितर्क का प्रतीक माना गया है। चूहे में इसके अलावा और भी कई गुण होते हैं, यही कारण है कि गणेशजी ने चूहे को ही अपना वाहन चुना था। गणेश पुराण के अनुसार हर युग में गणेश जी का वाहन बदलता रहता है। सतयुग में गणेश जी का वाहन सिंह है। त्रेता युग में गणेश जी का वाहन मयूर है और वर्तमान युग यानी कलियुग में उनका वाहन घोड़ा है। चूहा द्वापर युग में उनका वाहन था। चूहा कैसे बना गणेश जी का वाहन? इस बारे में हमारे धर्मग्रंथों में एक पौराणिक कहानी का उल्लेख मिलता है। कहानी कुछ इस तरह है कि एक बार महर्षि पराशर अपने आश्रम में ध्यान अवस्था में थे। तभी वहां कई चूहे आए और उनका ध्यान भंग करने लगे। उन चूहों ने आश्रम को तहस-नहस कर दिया। पढ़ें: यहां देखें मुहूर्त औ...